युवा नाट्य मंच के 19 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ पँाच दिवसीय नाट्य समरोह में आज होगा बंुदेला विद्रोह 1842 का मंचन

दबंगतंत्र के अन्याय और अत्याचार के विरोध में बंचितों की आवाज बनी भोर तरैया

भोर तरैया नाटक: दर्शकों ने देखा बंचितों के शोषण और उनके हक की लड़ाई का मंचीय प्रतिविम्ब

युवा नाट्य मंच के 19 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ

पँाच दिवसीय नाट्य समरोह में आज होगा बंुदेला विद्रोह 1842 का मंचन दल

दमोह

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से नगर की नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच के द्वारा आयोजित 19वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन शुक्रवार को पहुना लोक कला मंच के बुंदेली नाटक भोर तरैया से हुआ। कोरोना संक्रमण काॅल में लंबे समय बाद आयोजित इस नाट्य समारोह के प्रथम दिन मंचित इसस नाटक ने दबंगतंत्र पर सीधा और सटीक प्रहार कर लोगों को जमीनी हकीकत और महिलाओं की हिस्सेदारी से रूबरू कराया। नाटक की कहानी है एक ग्राम पंपापुर की जहां पर दंबग महिपाल पंचायत की सीट के महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद वह अपनी राज नर्तकी और अनपढ़ महिला गंेदा को अपने रसूख व दबंगई से निर्विरोध चुनाव जिताकर अघोषित रूप से ना सिर्फ सत्ता पर काविज होता है, बल्कि गेंदा की सरपंची के नाम पर ग्रामीणों सहित खुद गेंदा पर भी अत्याचार और शोषण जारी रखता है। ऐसे में कहानी में प्रवेश होता है शहर से रोजी रोटी की तलाश कर अपने वृद्ध और अंधे पिता बरगद के पास बापस लौटे भौरू और तरैया का जिनके पुस्तैनी घर पर दबंग महिपाल ने कब्जा कर लिया है और बदले में शासकीय कुटी उन्हे दी जा रही है। ऐसे में तरैया अपने घर को बापस लेने और महिपाल को सबक सिखाने के लिए प्रारंभ करती है अपने ससुर बरगद के साथ दबंगतंत्र के विरूद्ध लड़ाई और अपनी जीत के संकल्प को पूर्ण कर उदय कराती है नारी शक्ति और बंचितों की आवाज के एक नए सूरज का।

नाटक दर्शकों को ना सिर्फ मनोरंजन देने में सफल रहा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के हालातों का सजीव वर्णन भी करता हैं। संजय श्रीवास्तव का निर्देशन व लेखन बुंदेली परिवेश पर अत्यंत कसा हुआ है और हर पात्र को उन्होने कहानी में बारीकी से पिरोया है। संगीत पक्ष को नाटक से दरकिनार करना संभव नहीं है और संगीत में बुंदेली वाद्ययंत्र व गायन का भरपूर सहयोग मिला है।

पात्रों में महिपाल बने संदीप श्रीवास्तव, गेंदा सोनिका नामदेव, जुदैया प्राची एकता चैरसिया, भोरू कुलदीपक शर्मा अंत तक बांधे रहते है। बरगद की भूमिका में बृजकिशोर नामदेव, लखना अनिकेत जैन, ढकना मनोज जोशी, देशराज व अन्य भूमिकाओं में अमन जैन, कपूरा बने उमेश जैन, पंडित अरविंद सिंह, नर्तकी व अन्य भूमिकाओं में फिजा रजवी रंगरेज व मानसी जैन, घंसु नगड़िया बृंदावन अहिरवार व खड़ी राजेश विश्वकर्मा अत्यंत प्रभावी रहे है। मंच पर सहनिर्देशन, मंच सज्जा, वस्त्र सज्जा व प्रस्तुति में संदीप, कुलदीपक शर्मा, कृष्णकांत कुशवाहा, रूचि चैरसिया, अरविंद सिंह व अशोक प्रजापति ने अपना कार्य बाखूबी किया है।

केन्द्रीय मंत्री के संदेश का हुआ वाचन

इसके पूर्व समारोह का औपचारिक शुभारंभ पूजन अर्चन दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ, जहां केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटैल के बर्चुअल संदेश से हुआ। इसके अलावा विधायक अजय टंडन सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भी आयोजन के लिए शुभकामनाए दी। आयोजन संस्था युवा नाट्य मंच द्वारा संस्था प्रतिवेदन के साथ दर्शकों का अभार व्यक्त किया। आज समारोह के दूसरे दिन युवा नाट्य मंच द्वारा बुंदेली नाटक व आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित नाटक बुंदेला विद्रोह 1842 का मंचन किया जाएगा।

 

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